Shiv chaisa - An Overview

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

There's no one particular as generous when you, Your devotees generally praise and provide you. The Vedas sing your divine glory, The unfathomable and timeless secrets and techniques are past comprehension.

बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।

भगवान शिव जी की चालीसा के बोल निचे दिए गए हैं। श्री शिव चालीसा प्रारम्भ।

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। more info जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

श्रीरामचरितमानस धर्म more info संग्रह धर्म-संसार एकादशी

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